खुद को तलाशने के लिए उठाए कदम... बहुत कुछ देखा, सीखा, समझा पर मंज़िल पा ना सका, रास्ते कम थे... कुछ कहना चाहा अपने बारे में पर... शब्द गुम थे
वाह... आपने बड़ी सरलता से गहरी बात कह दी। अगर आप देवनागरी में लिखें, तो आपका ब्लॉग ज़्यादा पठनीय हो जाएगा। हिन्दी को रोमन में पढ़ना काफ़ी मुश्किल है और आँखों को चुभता है।HindiBlogs.com
खिलेंगे फूल भी काँटो के साथ ज़िंदगी तभी तो मुस्कराएगी कही भी रहे हम इस दुनिया में उनके साथ बीते पलो की याद हमे सताएगी !! बहुत ख़ूब देवेश जी .....
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वाह... आपने बड़ी सरलता से गहरी बात कह दी। अगर आप देवनागरी में लिखें, तो आपका ब्लॉग ज़्यादा पठनीय हो जाएगा। हिन्दी को रोमन में पढ़ना काफ़ी मुश्किल है और आँखों को चुभता है।
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ज़िंदगी तभी तो मुस्कराएगी
कही भी रहे हम इस दुनिया में
उनके साथ बीते पलो की याद हमे सताएगी !!
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